عشر ذو الحجة يوم الحج الثالث هو ١٠ ذو الحجة. ما يجب القيام به في ١٠ ذو الحجة مفصل أدناه-
حج کا تیسرا دن ١٠ ذوالحجہ ہے ١٠ ذوالحجہ کو کیا-کیا کرنا ہے ہم نے نیچے تفصیل سے لکھ دیا ہے
The third day of Hajj is the 10th of Dhu al-Hijjah. The detailed activities for this day are written below
On the 10th of Zilhijjah, Before Fajr prayers, if you are in the tent, give the Adhan in the darkness, then recite the Sunnah of Fajr, followed by the obligatory Fajr prayer with congregation. After the prayer, face the Qibla, recite "Allahu Akbar," "La ilaha illallah," and the Talbiyah abundantly. Also, continue sending blessings upon the Prophet Muhammad (peace be upon him) and extend your hands in supplication. Pray for yourself, your family, parents, friends, loved ones, the Muslim Ummah, and your country. Keep performing these acts until dawn breaks. This is the time for Wuquf of Muzdalifah, starting from the pre-dawn until sunrise.
When the sun is about to rise, engage in remembrance, supplication, and recite the Talbiyah abundantly. Head towards Mina, and once there, proceed to your designated resting place. You will stay in Mina for three days: the 10th, 11th, and 12th of Zilhijjah. Perform the following three activities in sequence:
1- Stoning of Jamrat al-Aqaba:- Go to the Jamarat and stone only the Jamrat al-Aqaba, meaning throw stones at it seven times. The method is to throw stones while standing at least five arms' length away from the Jamarat, saying "Bismillahi Allahu Akbar" each time.
2- Animal Sacrifice (Qurbani).
3- Shaving or trimming the hair:- Either shave your head or trim your hair.
हज का तीसरा दिन 10 ज़िल्हिज्जा है 10 ज़िल्हिज्जा को क्या-क्या करना है हमने तफ्सील से नीचे लिख दिया है
10 ज़िल्हिज्जा को सुबह सादिक़ के बाद अगर खेमे में हो तो अँधेरे ही में अज़ान दें फिर फज्र की सुन्नते पढ़ें फिर फज्र के फ़र्ज़ जमा’अत के साथ अदा करें नमाज़ के बाद क़िब्ला रुख हो कर अल्लाहु अकबर, ला-इलाहा इल्लल्लाह और तल्बियह कसरत से पढ़ें और नबी-ए-पाक ﷺ दुरूद भी भेजते रहें और दुआ के लिए दोनों हाथ फैलायें और अपनी ज़ात, अहलो-अयाल (घरवालों), वालिदेन, दोस्त व अहबाब, उम्मत-ए मुस्लिमा, और अपने मुल्क के लिए खूब दुआयें करें, रौशनी खूब फैलने तक यही अमल जारी रखें, ये वुक़ूफ़-ए-मुज़दलफा है इसका वक़्त सुबह सादिक़ से लेकर तुलु-ए-आफताब तक है
जब सूरज निकलने वाला हो तो ज़िक्र व अज़कार और तल्बियह कसरत के साथ कहते हुए मिना की तरफ रवाना हों और वहां मौजूद अपनी आरामगाह पर पहुँचे, मिना में आपको तीन दिन रहना है यानी 10,11,12 ज़िल्हिज्जा तक, मिना पहुँच कर ये तीन काम तरतीब से करें
1- जमरा-अक़बा की रमी- जमरात पर जायें और सिर्फ जमरा-अक़बा की रमी करें यानी उस पर 7 कांकरिया मारें, इसका तरीका ये है जमरह से कम से कम पाँच हाथ के फासले से हर कंकरी (बिस्मिल्लाही अल्लाहु अकबर) कहकर जमरा के सुतून की जड़ में मारें
2- क़ुर्बानी करना
3-हल्क़ व क़स्र करना है- यानी सर मुंडवाना या बाल कतरवाना
Abu Dawood-1905,1981,1975- Bukhari-1751- Musnad Ahmad-4587- Durre Mukhtar-2/300
طواف الحج واجب
طواف زیارت کرنا فرض ہے
Performing the Tawaf of Ziyarat is obligatory.
Performing Tawaf-e-Ziyarat is obligatory for the Hajj- pilgrimage After completing the rituals of Stoning, Sacrifice, and Shaving or Trimming, it is Sunnah to perform Tawaf-e-Ziyarat on the 10th of Dhul-Hijjah. Performing it on the 11th and 12th of Dhul-Hijjah is also permissible. Therefore, after taking off the Ihram and wearing regular clothes, proceed to Makkah to perform Tawaf-e-Ziyarat. After completing the Tawaf, return to Mina and observe the night stay there.
तवाफ़-ए-ज़ियारत करना फ़र्ज़ है
हज का अहम रुक्न तवाफ़-ए-ज़ियारत- तवाफ़-ए-ज़ियारत करना फ़र्ज़ है, रमी,क़ुर्बानी और हल्क़ व क़स्र के बाद 10 ज़िल्हिज्जा को ही तवाफ़-ए-ज़ियारत करना सुन्नत है और 11,12 ज़िल्हिज्जा को करना भी जाइज़ है, इसलिए ऐहराम खोल कर आम कपड़ों में तवाफ़-ए-ज़ियारत के लिए मक्का मुकर्रमा जायें और तवाफ़-ए-ज़ियारत करें, जब तवाफ़ कर चुकें तो वापस मिना आ जायें और रात का क़याम मिना में करें
Al-Baqara-158- Abu Dawood-1805- Durre Mukhtar-2/304
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