ما يجب فعله عند دخول مكة
جب مکّہ مکرّمہ میں داخل ہوں تو کیا کریں
What to do when entering Mecca
When Mecca Mukarrama begins to draw near, recite Talbiyah with enthusiasm and reverence for the closeness to the sacred city and its honor and greatness. Enter the city with respect and reverence, placing your belongings in your accommodation (room), then perform ablution and head towards the Masjid al-Haram.
Note: Since the journey is long and fatigue sets in, it is better to have a meal first and take some rest so that the exhaustion diminishes, and then proceed to perform Umrah with renewed energy.
जब मक्का मुकर्रमा में दाखिल हो तो किया करें
मक्का मुकर्रमा जब करीब आने लगे तो ज़ोक व शोक से तल्बियह पढ़ें, खुदा-ए-त’आला के क़ुर्ब और उस अज़ीमुश्शान शहर की इज़्ज़त व अज़मत का दिल में अदब व ऐहतराम करते हुए उस शहर में दाखिल हों, अपनी आराम-गाह (Room) पर सामान वगेरा रखें फिर वुज़ू करके मस्जिद-ए-हराम की तरफ रवाना हों
नोट- क्योंकि सफर लम्बा होता है और सख्त थकावट होती है, इसलिए बेहतर ये है कि पहले खाना वगेरा खा लें और कुछ देर आराम कर लें, ताकि थकावट ख़त्म हो जाये और ताज़ा दम होकर उमराह किया जाये
Mashwara
مدخل المسجد الحرام
مسجد حرام میں داخلہ
Entering Masjid-e-Haram
After placing belongings in the room, perform ablution and enter the Masjid al-Haram. If entering through Bab al-Salam, it is better; otherwise, you may enter through any gate. Upon entering the Masjid al-Haram, recite the following supplication: "بِسْمِ اللهِ ، وَالصَّلَاةُ وَالسَّلَامُ عَلَى رَسُوْ لِ اللَّهِ ، اللَّهُمَّ اغْفِرْ لِي ذُنُوبِي، وَافْتَحْ لِي أَبْوَابَ رَحْمَتِكَ" (Allah - beginning with the name, and blessings and peace be upon the Prophet Muhammad ﷺ . O Allah, forgive my sins and open the doors of Your mercy for me)
Make the intention for I'tikaf by saying "نَوَيْتُ سُنَّةَ الاعْتِكَافِ" (I intend to observe the Sunnah of I'tikaf) while continuing to recite Talbiyah and Durood Sharif. Descend from the stairs and enter the Mutaaf (the area for Tawaf).
मस्जिद-ए-हराम में दाखिला
आराम-गाह (Room) पर सामान रखने के बाद वुज़ू करके मस्जिद-ए-हराम में दाखिल हों, अगर बाब-ए-सलाम से दाखिल हों तो बेहतर है वरना जिस दरवाज़े से भी चाहें दाखिल हो जायें, मस्जिद-ए-हराम में दाखिल होकर ये दुआ पढ़ें بِسْمِ اللهِ ، وَالصَّلَاةُ وَالسَّلَامُ عَلَى رَسُوْ لِ اللَّهِ ، اللَّهُمَّ اغْفِرْ لِي ذُنُوبِي، وَافْتَحْ لِي أَبْوَابَ رَحْمَتِكَ (बिस्मिल्लाही वस्सलातु वस्सलामु अला रसूलिल्लाह, अल्लाहुम्मग़्फ़िरली ज़ुनूबी वफतहली अब्वाबा रहमतिक) [तर्जुमा- अल्लाह के नाम से शुरू, दुरूद और सलाम है अल्लाह के रसूल ﷺ पर ऐ अल्लाह मेरे गुनाहों को बख्श दे, और मुझे माफ़ फरमा और मेरे लिए अपनी रहमत के दरवाज़े खोल दे-]
ए’अतिकाफ की नियत करलें [نَوَيْتُ سُنَّةَ الاعْتِكَافِ] (नवइतु सुन्नतल ए’अतिकाफ- तर्जुमा- में सुन्नत ए’अतिकाफ की नियत करता हूँ ) तल्बियह और दुरूद शरीफ पढ़ते हुए चलते रहें और बरामदे और सीढ़ियों से उतरते हुए मुताफ़ (तवाफ़ करनें की जगह) में दाखिल हों
Abu Dawood-465- Durre Mukhtaar-2/287
أَنّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ اعْتَمَرَ فَطَافَ بِالْبَيْتِ
حضرت عبداللہ بن اوفیٰ رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ ﷺ نے عمرہ کیا تو بیت اللہ (خانہ کعبہ) کا طواف کیا۔
Hazrat Abdullah bin Aufa Radi ALLAHU Anhu (may Allah be pleased with him) narrates that when the Prophet Muhammad ﷺ performed Umrah, he also performed Tawaf around the Kaaba
"If there is no danger of missing obligatory prayers, Witr, and emphasized Sunnah prayers, then begin the Tawaf. The procedure is as follows:
Tawaf Procedure:- Form the intention of Tawaf in your heart and men should expose their right shoulder (Iztiba). Stand towards the direction of Baitullah (Kaaba) with the intention that you should reach in line with Hajar Aswad (Blessed Black Stone). Here, perform the following three actions:
1- Raise both hands up to the ears and recite Takbeer, Kalima Tayyiba, and Durood Sharif. Then, release your hands.
2- Now, perform Istilam - the method is to point towards Hajar Aswad with the palms of both hands (as if placing your hands on Hajar Aswad, saying Bismillahi Allahu Akbar, and then kiss without actually touching).
3- After Istilam, turn slowly on your right side so that the left shoulder faces Hajar Aswad and begin Tawaf.
While performing Tawaf, keep your gaze fixed straight ahead. It is discouraged to look at Baitullah (Kaaba) during Tawaf. Complete the seven rounds in the following order: perform Ramal (i.e., walk briskly like wrestlers with fast steps) in the first three rounds, but refrain from running or jumping.
During Tawaf, keep reciting the following words: “سُبْحَان اللهِ وَالْحَمْدُلِلّهِ وَلا إِلهَ إِلّااللّهُ وَاللّهُ أكْبَرُ وَلا حَوْلَ وَلاَ قُوَّةَ إِلَّا بِاللّهِ الْعَلِيِّ الْعَظِيْم” (Subhan Allahi Walhamdu Lillahi Walailaha Illallahu Wallahu Akbar Walahawla Walakuwwata Illa Billahil Aliyyil Azeem) (Translation- Glory is to Allah, and praise is to Allah, and there is no god but Allah, and Allah is Great, and there is no power and no strength except with Allah, the Most High, the Most Great).
When you reach Rukn-e-Yamani in each round, perform Istilam, i.e., touch it with both hands or just the right hand (without kissing).
Between Rukn-e-Yamani and Hajar-e-Aswad, recite the supplication:- “ رَبَّنَا آتِنَا فِىْ الدُّنْيَا حَسَنَةً وَّفِىْ الآخِرَةِ حَسَنَةً وَّقِنَا عَذَابَ النَّارِ ” [Rabbana Atina Fid-Dunya Hasanatawwa Fil Akhirati Hasanatawwa Wa Qina 'Adhaban-Naar] (Translation: Our Lord, give us good in this world and good in the Hereafter, and save us from the punishment of the Hellfire).
Note:- The corner before Hajar-e-Aswad, before performing Istilam, is called Rukn-e-Yamani. Sometimes, there is a fragrance on it, so if there is a fragrance or the crowd is too much, pass by without touching, and if there is no fragrance, touch it."
हज़रत अब्दुल्लाह बिन ओफा रदी अल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि रसूल अल्लाह ﷺ ने उमरह किया तो बैतुल्लाह (खाना-ए-काबा) का तवाफ़ किया
फ़र्ज़ नमाज़, वित्र, सुन्नत-ए-मुअक्कदा छूट जाने का खतरा न ही हो तो तवाफ़ शुरू करें, तरीका ये है,
तरीका-ए-तवाफ़- दिल में तवाफ़ की नियत करले और मर्द हज़रात इज़्तिबा’अ (यानी दायां कंधा खोल लें) करले , और बैतुल्लाह (खाना-ए-काबा) की तरफ रुख करके इस तरह खड़े हों की आप हजर-ए-अस्वद की सीध में आ जायें यानी हजरे अस्वद बिलकुल आपके सामने हो और यहाँ पर ये तीन काम करें
1- दोनों हाथ कानों तक उठाकर तकबीर अल्लाहु अकबर, कलमा-ए-तय्यिबह और दुरूद शरीफ पढ़ें फिर हाथ छोड़ दें
2- अब इस्तिलाम करें- जिसका तरीका ये है कि दोनों हाथों की हथेलियों से हजरे अस्वद की तरफ इशारा करके (जैसे कि हजरे अस्वद पर हाथ रख दिया है बिस्मिल्लाही अल्लाहु अकबर कहकर) चूम लें
3- अब अपनी जगह खड़े-खड़े दाईं जानिब घूम जायें कि बायां कंधा हजरे अस्वद की तरफ हो जाये और तवाफ़ शुरू कर दें
अब तवाफ़ करते हुए निगाह सामने रखे जान कर तवाफ़ के दौरान बैतुल्लाह (खाना-ए-काबा) को देखना मना है, हर चक्कर के इख़्तिताम (आखिर में) हजरे अस्वद का इस्तिलाम करके हाथों को चूम लें, इस्तिलाम की हालत में आगे न चलें बल्कि पाऊं अपनी जगह पर ही बरकरार रखें, और हजरे अस्वद के सामने अपना पूरा बदन कर दें, इस्तिलाम के बाद बायां कंधा बैतुल्लाह (खाना-ए-काबा) की तरफ करके फिर सीधे हो कर चलें और इसी तरतीब पर सात चक्कर मुकम्मल करें, पहले तीन चक्करो में रमल करें (यानी पहलवानों की तरह अकड़ कर तेज़-तेज़ क़दमों के साथ चलें) लेकिन दौड़ने और कूदने से परहेज़ करें,
तवाफ़ के दौरान ये कलमा पढ़ते रहें - “سُبْحَان اللهِ وَالْحَمْدُلِلّهِ وَلا إِلهَ إِلّااللّهُ وَاللّهُ أكْبَرُ وَلا حَوْلَ وَلاَ قُوَّةَ إِلَّا بِاللّهِ الْعَلِيِّ الْعَظِيْم” (सुब्हानल्लाही वल्हम्दुलिल्लाही व लाइलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर वला हउला वला क़ुव्वता इल्लाह बिल्लाहिल अलिय्यिल अज़ीम) तर्जुमा- अल्लाह को पाकी है और सब खूबियां अल्लाह ही के लिए और अल्लाह के सिवा कोई म’अबूद नहीं और अल्लाह बहुत बड़ा है, और गुनाहों से बचने की ताकत और नेक काम करने की क़ुव्वत अल्लाह ही की तरफ से है जो बुलंद व अज़मत वाला है
हर चक्कर में जब रुक्न-ए-यमानी पर पहुंचें तो उसे इस्तिलाम करें यानी उसे दोनों हाथ या सिर्फ दायां हाथ लगायें (बोसा न दें)
रुक्न-ए-यमानी और हजर-ए-अस्वद के दरमियान जब पहुंचें तो ये दुआ पढ़ें “رَبَّنَا آتِنَا فِىْ الدُّنْيَا حَسَنَةً وَّفِىْ الآخِرَةِ حَسَنَةً وَّقِنَا عَذَابَ النَّارِ” रब्बना अतिना फ़िद्दुनिया हसनतऊं वाफ़िल-आख़िरती हसनतऊं वकिना अजाबन्नार (तर्जुमाः ऐ हमारे रब हमें दुनियां में भी भलाई दे और आख़िरत में भी भलाई अता फरमा, और हमें आग के अज़ाब से बचा)
नोट- तवाफ़ करते हुए हजर-ए-अस्वद से पहले वाला खाना-ए-काबा का कोना रुक्न-ए-यमानी कहलाता है बाज़ मर्तबा इस पर खुशबु लगी होती है इसलिए अगर खुशबु लगी हो या भीड़ बहुत ज़्यादा हो तो हाथ लगाये बगैर ही गुज़र जायें और अगर खुशबु न लगी हो तो उस पर हाथ लगायें
Abu Dawood-1888,1872,1873,1874,1875,1876,1902
أَنّ النَّبِيَّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ لَمَّا دَخَلَ مَكَّةَ طَافَ بِالْبَيْتِ وَصَلَّى رَكْعَتَيْنِ خَلْفَ الْمَقَامِ
نبی پاک ﷺ جب مکہ مکرّمہ میں داخل ہوئے تو بیت اللہ کا طواف کیا اور مقام ابراہیم کے پیچھے دو رکعتیں پڑھیں
When the Prophet Muhammad ﷺ entered Mecca, he performed the Tawaf (circumambulation) of the Kaaba at the Masjid al-Haram and prayed two Rak'ahs (units of prayer) behind the Maqam-e-Ibrahim (Station of Ibrahim).
After Tawaf, now proceed to Multazam (the area between Hajre Aswad and the door of Kaaba) and cling to this wall, offering heartfelt supplications. If the crowd is too dense, request supplications from a distance. Then, go behind the Maqam-e-Ibrahim and perform two Rakat obligatory Ut-Tawaf prayers in such a way that Maqam-e-Ibrahim is between you and the Kaaba. It is preferable to recite Surah Al-Kafirun in the first Rakat and Surah Al-Ikhlas in the second Rakat. After the prayer, earnestly make supplications.
Note: If there is too much crowd at Maqam-e-Ibrahim, perform the obligatory Ut-Tawaf prayers in the Haram wherever space is available. After that, drink Zamzam water generously and pour some over yourself.
नबी-ए-पाक ﷺ जब मक्का-तुल-मुकर्रमा में दाखिल हुए तो बैतुल्लाह (खाना=ए-काबा) का तवाफ़ किया और मकाम-ए-इब्राहीम के पीछे दो रकत नमाज़ पढ़ी
तवाफ़ के बाद अब मुल्तज़म (हजरे अस्वद और खाना-ए-काबा के दरवाज़े के दरमियान की जगह) पर आयें और इसी दीवार से चिपट कर खूब दुआयें करें, लेकिन हुजूम (भीड़) ज़्यादा हो तो दूर से ही दुआयें मांगें, फिर मकाम-ए-इब्राहीम के पीछे जाकर दो रकत नमाज़ वाजिब-उत-तवाफ़ इस तरह अदा करें कि मकाम-ए-इब्राहीम आपके और खाना-ए-काबा के दरमियान आ जाये, पहली रकत में सुराह काफ़िरून और दूसरी रकत में सौराह इखलास पढ़ना अफ़ज़ल है, नमाज़ के बाद खूब दुआयें मांगें
नोट - मकाम-ए-इब्राहीम पर अगर हुजूम (भीड़) ज़्यादा हो तो हरम शरीफ में जहाँ जगह मिले वहाँ दो रकत वाजिब-उत तवाफ़ अदा करें, उसके बाद खूब ज़म-ज़म पिए और कुछ अपने ऊपर भी डालें
Abu Dawood-1871- Durre Mukhtar-2/292
إِنَّ ٱلصَّفَا وَٱلْمَرْوَةَ مِن شَعَآئِرِ ٱللَّهِ
بیشک صفا اور مروہ اللہ کی نشانیوں سے ہیں
Undoubtedly Safa and Marwah * are among the symbols of Allah
Now, for Sai, perform the Istilam (kissing or touching) of the House of Allah (Kaaba), then come to Safa from Bab-e-Safa. Face towards the Kaaba, make the intention for Sai, raise your hands like in supplication, and recite "Allahu Akbar" three times, followed by the recitation of the Kalima Tayyibah three times and then Durood Sharif three times. Make personal and general prayers for yourself and all Muslims. Among the green lights (green markers) placed on the walls and ceiling in the area where Sai is performed, the male pilgrims should run lightly between them. Then, upon reaching Marwah, face towards the Kaaba, and make the same mention and supplications as you did at Safa. Stand at Marwah in a place where it does not cause inconvenience to others.
Upon reaching Marwah from Safa completes one round. In this way, complete six rounds and finish at Marwah. Similarly, perform the Sa'i in the opposite direction, starting from Marwah and finishing at Safa. When you complete seven rounds between Safa and Marwah for Sai, offer two unit Nafl prayers in Masjid al-Haram.
बेशक सफा और मरवा अल्लाह की निशानियों से हैं
अब सई के लिए बैतुल्लाह (खाना-ए-काबा) का इस्तिलाम (बोसा) करें, और बाब-ए-सफा से सफा पर आयें, यहाँ खाना-ए-काबा की तरफ मुँह करके सई की नियत करें फिर दुआ की तरह हाथ उठाकर तीन मर्तबा अल्लाहु अकबर और तीन मर्तबा कलमा-ए-तय्यिबह पढ़े फिर तीन मर्तबा दुरूद शरीफ पढ़े और अपने लिए और सब मुसलमानों के लिए दुआ करें, और और सब्ज़ लाइटे (हरी लाइटें) जो सई की जगह पर दीवारों और छत में लगी हुई हैं उनके दरमियान मर्द हज़रात हलकी रफ़्तार से दौड़ें, फिर मरवा पर पहुँच कर खाना-ए-काबा की तरफ मुँह करें और वही ज़िक्र व दुआ करें जो सफा पर की थी, मरवा पर ऐसी जगह खड़े हो जहाँ दूसरों को आने-जाने में तकलीफ न हो,
सफा से मरवा पहुँचने पर एक चक्कर मुकम्मल हो गया, इसी तरह छह चक्कर और लगाने हैं कि मरवा से सफा तक दो चक्कर हो जायेंगे फिर सफा से मरवा तक तीन, इसी तरह चलते-चलते सातवां चक्कर मरवा कर ख़त्म होगा, जब सई के सात चक्कर पूरे करलें तो मस्जिद-ए-हराम में दो रकत नमाज़ नफ़्ल पढ़ें,
Al-Baqara-158- Abu Dawood-190,1888- Durre Mukhtar-2/292,293
أَنّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ، قَالَ: اللَّهُمَّ ارْحَمْ الْمُحَلِّقِينَ ، قَالُوا: يَا رَسُولَ اللَّهِ، وَالْمُقَصِّرِينَ ؟ قَالَ: اللَّهُمَّ ارْحَمْ الْمُحَلِّقِينَ ، قَالُوا: يَا رَسُولَ اللَّهِ، وَالْمُقَصِّرِينَ ؟ قَالَ: وَالْمُقَصِّرِينَ .
رسول اللہ ﷺ نے فرمایا :’’ اے اللہ ! سر منڈوانے والوں پر رحم فرما ۔“ صحابہ نے کہا : اے اللہ کے رسول ! اور کتروانے والوں کے لیے بھی ( دعا فرمائیں ۔ ) آپ نے فرمایا :’’ اے اللہ ! سر منڈوانے والوں پر رحم فرما ’’ صحابہ نے کہا : اے اللہ کے رسول اور کتروانے والوں کے لیے بھی ، تب آپ نے فرمایا :’’ اور بال کتروانے والوں پر بھی
The Prophet Muhammad ﷺ said, "O Allah, have mercy on those who shave their heads." The companions (Sahaba) said, "O Rasool ALLAH ﷺ also include those who trim their hair!" The Prophet Muhammad ﷺ repeated, "O Allah, have mercy on those who shave their heads." When they asked again about those who trim their hair, the Prophet Muhammad ﷺ finally said, "And upon those who trim their hair.
After Sai, shave or trim the hair. If the hair is long, cut them to the length equivalent to the width of a finger. It is preferable to shave, and trimming is also permissible.
नबी-ए-पाक ﷺ ने फ़रमाया, ऐ अल्लाह सर मुंडवाने वालों पर रहम फरमा, सहाबा-ए-किराम ने अर्ज़ किया या रसूल अल्लाह ﷺ बालों को कतरवाने वालों के लिए भी दुआ फरमायें, नबी-ए-पाक ﷺ फिर फ़रमाया, ऐ अल्लाह सर मुंडवाने वालों पर रहम फरमा, सहाबा-ए-किराम ने फिर अर्ज़ किया कि या रसूल अल्लाह ﷺ सर के बालों को कतरवाने वालों के लिए भी दुआ फरमायें, तब नबी-ए-पाक ﷺ फ़रमाया, और बाल कतरवाने वालों पर भी रहम फरमा
सई के बाद हल्क़ (सर मुंडवाना) व क़स्र (सर के बाल कतरवाना) करवायें सर के सारे बाल ममुंड़ायें अगर बाल लंबे हों तो ऊँगली के पोरे के बराबर पूरे सर के बाल कटवायें, हल्क़ करवाना अफज़ल है और क़स्र करवाना जाइज़ है
Abu Dawood- 1979/1980/1981 Musnad Ahmad-4587
مبروك إتمام العمرة
مبارک ہو آپ کا عمرہ مکمّل ہو گیا ہے
Congratulation Your Umrah is Complete
Congratulations, your Umrah is complete. Now, open your Ihram. The restrictions of Ihram are now lifted. Express gratitude to Allah for granting you this opportunity. If there are remaining days until the Days of Hajj, engage in more acts of worship—recitation, remembrance, sending blessings, voluntary prayers, Tawaf, charity, and other righteous deeds. Utilize the remaining time for increased devotion and virtuous actions.
मुबारक हो उमरह मुकम्मल हो गया
मुबारक हो आपका उमरह मुकम्मल हो गया है, अब ऐहराम खोल दीजिये, अब ऐहराम की पाबंदियां खत्म हो गईं, अल्लाह का शुक्र अदा कीजिये कि उसने ये तौफ़ीक़ अता फ़रमाई, अय्याम-ए-हज (हज के दिन) आने में जितने दिन बाक़ी हों तो उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा इबादात में गुज़ारें तिलावत, ज़िक्र व अज़कार, दुरूद शरीफ, नवाफिल, तवाफ़, सदक़ा व खैरात और दीगर नेक काम ज़्यादा से ज़्यादा करते रहें
Mubarak Baad
© 2022 islam1400.com All rights reserved