إِنَّ النَّبِيَّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ وَقَّتَ لِأَهْلِ الْمَدِينَةِ ذَا الْحُلَيْفَةِ ، وَلِأَهْلِ الشَّأْمِ الْجُحْفَةَ ، وَلِأَهْلِ نَجْدٍ قَرْنَ الْمَنَازِلِ ، وَلِأَهْلِ الْيَمَنِ يَلَمْلَمَ هُنَّ لَهُنَّ وَلِمَنْ أَتَى عَلَيْهِنَّ مِنْ غَيْرِهِنَّ مِمَّنْ أَرَادَ الْحَجَّ وَالْعُمْرَةَ ، وَمَنْ كَانَ دُونَ ذَلِكَ فَمِنْ حَيْثُ أَنْشَأَ حَتَّى أَهْلُ مَكَّةَ مِنْ مَكَّةَ
نبی کریم ﷺ نے مدینہ والوں کے احرام کے لیے ذوالحلیفہ ، شام والوں کے لیے جحفہ ، نجد والوں کے لیے قرن منازل ، یمن والوں کے لیے یلملم متعین کیا ۔ یہاں سے ان مقامات والے بھی احرام باندھیں اور ان کے علاوہ وہ لوگ بھی جو ان راستوں سے آئیں اور حج یا عمرہ کا ارادہ رکھتے ہوں ۔ لیکن جن کا قیام میقات اور مکہ کے درمیان ہے تو وہ احرام اسی جگہ سے باندھیں جہاں سے انہیں سفر شروع کرنا ہے ۔ یہاں تک کہ مکہ کے لوگ مکہ ہی سے احرام باندھیں
The Prophet Muhammad ﷺ designated specific miqats for the people of Madinah, Sham, Najd, and Yemen. For the people of Madinah, the miqat is Zul-Hulayfa, for the people of Sham, it is Juhfa, for Najd, it is Qarn al-Manazil, and for Yemen, it is Yalamlam. People intending Hajj or Umrah, along with those approaching from these routes, are required to assume ihram at these designated places. However, those whose residence is between the miqat and Makkah should assume ihram from their location. Even the residents of Makkah are to assume ihram from within the boundaries of Makkah.
For travelers from Yemen, India, and Pakistan, the designated miqat is Yalamlam, which comes before Jeddah. If your flight first goes to Madinah, do not wear Ihram; instead, spend the day at your residence in Madinah. When you are ready to proceed towards Makkah, then wear Ihram at Zul-Hulayfah. If your flight goes directly to Jeddah, then wear Ihram at Yalamlam or even at the airport before departure, as mentioned earlier.
नबी-ए-करीम ﷺ ने मदीने वालों के ऐहराम के लिए ज़ुल-हुलेफ़ा, शाम वालों के लिए जुहफा, नज्द वालों के लिए कर्न-ए-मनाज़िल, और यमन वालों के लिए यलमलम मुतअय्यन किया, यहाँ से इन मक़ामात वाले भी ऐहराम बांधें और उनके अलावा वो लोग भी जो इन रास्तों से आयें और हज या उमराह का इरादा रखते हैं, लेकिन जिनका क़याम मीक़ात और मक्का के दरमियान है तो वो ऐहराम उसी जगह से बांधें जहाँ से उन्हें सफर शुरू करना है, यहाँ तक कि मक्का के लोग मक्का ही से ऐहराम बांधें
यमन, हिन्दुस्तान, और पकिस्तान से जाने वालों के लिए मीक़ात यलमलम है जो जद्दा से पहले आता है, अगर आपकी फ्लाइट (हवाई जहाज़) पहले मदीना जाती है तो ऐहराम न बांधें बल्कि मदीना पहुंच कर अपने मुतअय्यनयह दिन गुज़ार कर जब मक्का की जानिब रवाना हों तो ज़ुल-हुलेफा पर ऐहराम बांध लें और अगर फ्लाइट (हवाई जहाज़) जद्दह जाये तो फिर यलमलम पर ऐहराम बाँध लें या पहले ही हवाईअड्डे (एयरपोर्ट) पर बाँध लें जैसा की आपने पीछे पढ़ा था
Bukhari-1524
كيفية لبس الإحرام
احرام باندھنے کا طریقہ
How to wear ihram
After arriving at the airport, all arrangements for ablution and other preparations are made. Perform ablution, apply fragrance, and wear the ihram. Men should remove their stitched clothes, wear two unsewn white sheets, tie one as an izar (lower garment) and cover the upper body with the other sheet, leaving both arms uncovered. Men should wear sandals exposing the middle bone of the foot, and if it is not an undesirable time, cover the head and offer a two-unit voluntary prayer with the intention of ihram.
ऐहराम बाँधनें का तरीक़ा
एयरपोर्ट (हवाईअड्डे) पर वुज़ू वगेरा का इंतज़ाम होता है यहाँ वुज़ू करें, खुशबू लगायें, और ऐहराम बाँध लें, मर्द अपने सिले हुए कपडे उतार लें और दो चादरे पहन लें, एक तेहबंद के तोर पर बांधें और दूसरी चादर ऊपर ओढ़ लें कि दोनों बाज़ू ढक जायें, मर्द ऐसी हवाई चप्पल पहनें जिससे पाऊं की उभरी हुई दरमियान वाली हड्डी खुली रहे, और अगर मकरूह वक़्त न हो तो सर ढक कर दो रकत नफ़्ल नमाज़ ऐहराम की नियत से पढ़लें
Bukhari-1838
ما هو الإحرام بالنسبة للمرأة
عورت کا احرام کیا ہے
what is a woman's ihram
Women are not required to wear any specific type of clothing for Ihram; they can wear their usual attire. Similarly, there is no specific requirement for the type of footwear; they can wear any suitable shoes. However, they should not cover their faces with the cloth, and women should also perform a 2-unit Nafl prayer with the intention of Ihram after completing the Nafl prayer.
Note: After finishing the Nafl prayer, face the Qibla and make the intention in this manner: 'O Allah, I intend to perform Umrah for Your sake. Make it easy for me and accept it in Your court.' After this, recite Talbiyah low voice at least three times. Now, you have become a Muhrim (one in the state of Ihram), and the restrictions of Ihram are applicable to you. Keep reciting Talbiyah frequently, especially after obligatory prayers, until you reach Makkah.
औरत का ऐहराम क्या है
औरतों को ऐहराम बाँधनें के लिए किसी खास क़िस्म का लिबास पहनना ज़रूरी नहीं है, इसलिए वो म’अमूल के कपड़े ही पहनें रहे (जो कपड़े पहनती है) इसी तरह औरतों के लिए किसी ख़ास क़िस्म का जूता पहनने की ज़रूरत नहीं बल्कि जिस तरह का जूता पहनना चाहे पहन सकती हैं, लेकिन चेहरे को इस तरह न ढकें कि कपड़ा उनके चेहरे को लगे, औरतें भी दो रकत नमाज़ नफ़्ल ऐहराम की नियत से पढ़ लें
नोट- जब नफ़्ल नमाज़ से फारिग हो जायें तो अब क़िब्ला रुख होकर इस तरह नियत करें ऐ अल्लाह में तेरी रज़ा के लिए उमराह की नियत करता हूँ / करती हूँ इसे मेरे लिए आसान फरमा और इसे अपनी बारगाह में क़ुबूल फरमा इसके बाद तीन मर्तबा दरमियानी आवाज़ से तल्बियह पढ़ें, “لَبَّيْكَ ٱللَّٰهُمَّ لَبَّيْكَ، لَبَّيْكَ لَا شَرِيكَ لَكَ لَبَّيْكَ، إِنَّ ٱلْحَمْدَ وَٱلنِّعْمَةَ لَكَ وَٱلْمُلْكَ لَا شَرِيكَ لَكَ” (लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक, लब्बैका ला शरीका लका लब्बैक, इन्नल हम्दा वन्नि’अमता लका वल मुल्क ला शरीका लका) अब आप मोहरिम (ऐहराम वाले) बन गये और आप पर ऐहराम की पाबंदियां आइद (लागू) हो गई, अब तल्बियह पढ़ते रहिये उठते-बैठते चलते-फिरते इसे विर्द-ए-ज़ुबान बनाइये ख़ुसूसन फ़र्ज़ नमाज़ के बाद तल्बियह कसरत से पढ़ते रहिये
Bukhari-1838- Muslim-2811
أكثر الحجاج يأدون حج المتمتع
اکثر حاجی حج متمتع کرتے ہیں
حج افراد کی نیت- اے اللہ میں تیری رضا کے لئے حج کرتا ہوں / کرتی ہوں، اسے میرے لئے آسان فرما اور اپنی بارگاہ میں قبول فرما
حج قران کی نیت- اے اللہ میں تیری رضا کے لئے عمرہ اور حج کرتا ہوں / کرتی ہوں، ان دونوں کو میرے لئے آسان فرما، اور اپنی بارگاہ میں قبول فرما
مشورہ- اگر فلائٹ لیٹ ہو جائے تو کیا کریں
کبھی-کبھی ایسا ہوتا ہے کہ فلائٹ لیٹ ہو جاتی ہے اور احرام کی پابندیوں میں کچھ مشکل پیش آتی ہے، اس لئے مشورہ یہ ہے کہ دو رکعت نفل نماز پڑھنے کے بعد نیت نہ کریں اور نہ ہی تلبیہ پڑھیں بلکہ جب فلائٹ میں بیٹھ جائیں اور اڑان بھر لے تو نیت کریں اور تلبیہ پڑھیں
Most pilgrims perform Hajj Tamattu.
Normally, pilgrims perform Umrah first and complete the rituals, then go on to perform Hajj around the Hajj days by wearing the Ihram again. This means that they often perform Hajj Tamattu'. Therefore, we have written the intention for Ihram with the intention of Umrah, and the procedure for Hajj Tamattu' is also written, that the pilgrim should perform Umrah first, open Ihram, and later on 8th Dhu al-Hijjah, wear Ihram for Hajj from Mecca. However, if a pilgrim wants to perform Hajj al-Ifrad or Hajj al-Qiran, then they should make the intention accordingly and wear Ihram.
Hajj al-Ifrad Intention: O Allah, I perform Umrah and Hajj for Your pleasure. Make both of them easy for me, and accept them in Your sanctuary.
Hajj al-Qiran Intention: O Allah, I perform Umrah and Hajj for Your pleasure. Make both of them easy for me, and accept them in Your sanctuary.
Advice: If the flight gets delayed, then what to do.
Sometimes it happens that the flight gets delayed, and there are some difficulties in adhering to the restrictions of Ihram. Therefore, the advice is not to make the intention or recite Talbiyah after performing the two Rakat Sunnah prayer. Instead, when you are seated in the flight and it is about to take off, then make the intention and recite Talbiyah.
अक्सर हाजी हज-ए-तमत्तो’अ करते हैं
आम तौर पर हाजी पहले जाकर उमराह करके ऐहराम ख़त्म कर देते हैं, और हज के दिनों के करीब जाकर हज का ऐहराम बांधकर हज करते हैं यानी अक्सर हाजी हज-ए-तमत्तो’अ करते हैं इसलिए हमने ऐहराम की नियत में उमराह की नियत लिख दी है और आगे तरीका भी हज-ए-तमत्तो’अ का लिखा है, कि हाजी पहले उमराह करके ऐहराम खोल दें और बाद में 8 ज़िल्हिज्जा को हज का ऐहराम मक्का ही से बांध लें लेकिन अगर किसी हाजी को हज-ए-इफ़राद या हज-ए-क़िरान करना हो तो उसी की नियत करके ऐहराम बांध लें, हज-ए-इफ़राद की नियत ये है,
हज-ए-इफ़राद की नियत- ऐ अल्लाह में तेरी रज़ा के लिए हज करता हूँ / करती हूँ, इसे मेरे लिए आसान फरमा और अपनी बारगाह में क़ुबूल फरमा
हज-ए-क़िरान की नियत- ऐ अल्लाह में तेरी रज़ा के लिए उमराह और हज करता हूँ/ करती हूँ, इन दोनों को मेरे लिए आसान फरमा, और अपनी बारगाह में क़ुबूल फरमा
मश्वरा- अगर फ्लाइट लेट हो जाए तो क्या करें
कभी-कभी ऐसा होता है कि फ्लाइट लेट हो जाती है और ऐहराम की पाबंदियों में कुछ मुश्किल पेश आती है, इसलिए मशवरा ये है कि दो रकत नमाज़ नफ़्ल पढ़ने के बाद नियत न करें और ना ही तल्बियह पढ़ें बल्कि जब फ्लाइट में बैठ जायें और उड़ान भर ले तब नियत करें और तल्बियह पढ़ें
Abu Dawood- 1773
الأعمال المحظورة في حالة الإحرام
حالت احرام میں ممنوع کام
Prohibited Acts in the State of Ihram
1- Covering the Head or Face: (Men should not cover their heads or faces, while women should cover their heads in a way that the fabric does not touch the face.)
2- Wearing Stitched Clothing: (Men are prohibited from wearing stitched clothing.)
3- Applying Fragrance to the Body or Ihram Cloth
4- Applying Scented Oil or Soap
5- Trimming or Shaving Any Body Hair
6- Trimming Nails
7- Kissing, Embracing, Engaging in Sexual Conversations, and Sexual Relations
8- Killing Lice on the Head, Body, or Clothing
9- Engaging in Quarrels, Using Abusive Language, and Committing Other Sinful Acts
10- Wearing Shoes for Men that Conceal the Upright Bone of the Foot (Women can wear any type of shoes.)
11- Wearing Shoes (Shocks) for Men is Forbidden
12- Hunting Wild Animals or Assisting in Hunting
13- Combing the hair and beard with a comb or scratching the hair with such intensity that it starts falling.
हालत-ए-ऐहराम में ममनू’अ काम
1- सर या चेहरा छुपाना (मर्द सर व चेहरा न छुपाये / औरतें सर छुपायें और चेहरे का पर्दा इस तरह करें कि चहरे को कपडा न लगे)
2- सिला हुआ कपड़ा पहनना (मर्दों के लिए सिला हुआ कपडा पहनना ममनू’अ है)
3- जिस्म या ऐहराम की चादर को खुशबु लगाना
4- खुशबुदार तेल या साबुन लगाना
5- बदन के किसी भी हिस्से के बाल काटना या मूंडना
6- नाखून काटना
7- बोस व किनार करना, शहवत से हाथ लगाना, शहवत की बातें करना और हमबिस्तरी करना
8- सर, जिस्म या कपड़े की जूं मारना
9- लड़ाई-झगड़ा, गाली-गलोच और इस तरह के दीगर गुनाह के काम करना
10- मर्द के लिए ऐसा जूता पहनना जिससे पाऊँ की उभरी हुई हड्डी छुप जाये (औरत हर किस्म का जूता पहन सकती है)
11- मर्द के लिए मोज़े पहनना मना है
12- खुश्की के जानवर का शिकार करना या शिकारी का साथ देना
13- सर और दाढ़ी के बालों में कंघी करना या बालों को इतनी शिद्दत से खुजलाना कि गिरने लगे
Bukhari-134,1536,1542,1820- Abu Dawood-1778,1781,1819,1821,1823,1850,1852,1856
ما الذي يجوز فعله في حالة الإحرام
حالت احرام میں کون سے کام کرنا جائز ہیں
What is permissible to do in the state of Ihram
1- To attain freshness or to remove dirt, perform ritual bathing (ghusl), with the condition that it does not involve rubbing the body against each other.
2- Wearing glasses, using an umbrella while keeping it away from the head, looking in a mirror, using a tooth stick (miswak), wearing a ring, and wearing a watch with a strap.
3- For women, wearing a waist-wrapper (gloves) is allowed, although not wearing it is better.
4- Fastening a belt on the Ihram sheet.
5- Drinking a beverage with no fragrance (even in small quantities) should be avoided. Otherwise, giving charity (sadqah) becomes obligatory.
6- Killing harmful animals (even if they are in the Haram, such as snakes, scorpions, etc.).
हालत-ए-ऐहराम में कौनसे काम करना जाइज़ है
1- ताज़गी हासिल करने के लिए, या गर्द व गुबार दूर करने के लिए ग़ुस्ल करना ब-शर्त के बदन से मेल-कुचैल दूर न करे
2- चश्मा लगाना, छतरी इस्तेमाल करना जबकि छतरी सर से दूर रहे, आइना देखना, मिस्वाक करना, अंगूठी पहनना, फीते वाली घडी पहनना
3- औरत के लिए दास्ताने पहनना (लेकिन न पहनना अफ़ज़ल है)
4- ऐहराम की चादर पर बेल्ट बांधना
5- बगैर खुशबु मिला हुआ शरबत पीना (खुसबू मिले शर्बत पीने से बचना चाहिए अगरचे मामूली मिक़्दार ही क्यों न हो वरना सदका करना वाजिब होगा)
6- मोज़ी जानवर (तकलीफ व नुक्सान देने वाले) जानवरों को मारना (चाहे वो हरम ही में हों जैसे सांप, बिच्छू, ख़टमल, वगेरा-वगेरा)
Abu Dawood-1840,1846,1847
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